तमन्ना-ए-ज़र१ न
छुई आपको,
न ख़्वाहिश अल्क़ाब-ओ-ताज२ की,
आलम ने किया
एहतिराम-ए-ज़बाँ३,
वुस्अत-ए-हुनर४ थी आपकी,
बेक़रार पाते हैं सुकून ज़ीनत-ए-लफ़्ज़ से,
आसूदा५ हर साँस बेचैन की,
बेनज़ीर मअना-ए-अलफ़ाज़६ बढ़ाते,
रौनक़ हर शाम-ए-अंजुमन७ की.
■ यौम-ए-वफ़ात८
(ख़राज-ए-अक़ीदत९)
(१-desire of wealth, २-titles & crown, ३-honour of language, ४-extent of talent, ५-satisfied, ६-meaning of words, ७-an evening assembly, ८-death anniversary, ९-tribute)
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