23 October, 2019

• उल्फ़त

उल्फ़त तो बस ही जाती है नशेमन-ए-चश्म में,
इश्क़ मुहताज नहीं होता मुलाक़ात-ओ-रू-ब-रू का.

(१-nest of eyes)
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22 October, 2019

• मुकम्मल

लब बस तअमील करने के क़ाबिल हैं,
अलफ़ाज़ महज़ ज़रीआ है इज़हार का,
जज़्बात अकसर मजबूर ही रह जाते हैं,
नायाब होता है मुकम्मल होना इश्क़ का.

(-obey, -words, -express, -emotions, -absolute)
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21 October, 2019

• हाल-ए-दिल

चाक-ए-जिगर को पानी है, नजात सैलाब-ए-ख़यालात से,
ज़िहन मगर चाहता है, भीगना आब-शार-ए-तसव्वुर में,
आसमाँ तो ख़ुद बेक़ाबू है, इल्तिजा-ए-रहम कहें तो किससे,
शमीम ने बेनिक़ाब किए जज़्बात, जो लिपटे थे पुरानी चादर में.

(१-wounded heart, २-shower of imagination, ३-plead mercy, ४-fragrant breeze)
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09 October, 2019

• ग़ज़ल

मत्ला-ए-विसाल हमारा, आब-ए-चश्म से लिखा तुमने,
जाने कितने अशआर बह गए, मेरे आब-ए-दीदा में,
तुम्हारी ग़ज़ल-ए-ज़ीस्त में, फ़न पाया मुआशरे ने,
मेरा हुनर-ए-इश्क़ मगर, दर्ज हुआ मक़्ता-ए-हिज्र में.

(१-first couplet of Ghazal of union, २&३-tears, ४-song of life, ५-concluding couplet of Ghazal of separation)
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05 October, 2019

• शोर

ख़ामोशी हो चुकी है आदी, शोर-ए-सवालात-ए-गिर्द की,
उल्फ़त मगर सिहर जाती है, महज़ सरगोशी-ए-ख़यालात से,
जुस्तजू-ओ-तसव्वुर में तरसना, है फ़ित्रत ख़ामोश तनहाई की,
शोर-ए-तख़्लिया से परीशाँ मगर, मुतअस़्स़िर भी उल्फ़त उसीसे.

(१-surrounding noise of queries, २-whisper of thoughts, ३-search & imagination, ४-noise of solitude, ५-inspired)
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