23 October, 2019

• उल्फ़त

उल्फ़त तो बस ही जाती है नशेमन-ए-चश्म में,
इश्क़ मुहताज नहीं होता मुलाक़ात-ओ-रू-ब-रू का.

(१-nest of eyes)
*****

No comments: