13 May, 2018

‘माँ’


ग़ौर ही नहीं किया मैंने, तुम्हारी जिद-ओ-जहद-ए-ज़िंदगी पर,
मेरी ख़ातिर मुसकान की आड़ में, छिपाई हुई कशमकश पर,
अपने अरमान भुलाए तुमने, मेरी तमन्नाओं का बहाना बनाकर,
अहमियत दी मेरे फ़ैसलों को, ख़ुद के मुअय्यन को मुल्तवी कर.

Mother’s Day
(Select lines from my Hindi-Urdu poetry book)

(१-struggle of life, २-struggle, ३-earnest hope, ४-planned, ५-adjourn)

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