22 November, 2017

‘रुख्माबाई राऊत’


विजय तुझा होणेच होते, तनया तू ‘जयंती’ची,
मायेचा खंबीर आधार, ‘सख्या’ची साथ ही मोलाची,
अनामिकाच राहून उघडलीस, कवाडे संकीर्ण मनांची,
धन्य तुझ्या लढ्याने, इंच-इंच न्यायगृहाची।
कणखर तू, संयमी, साहसी, खाण तू धैर्य जिद्दीची,
साता समुद्रापारही फडकली, निशाणे अतुल प्रतिभेची,
झुगारले ऐश्वर्य सकळ, करिण्या सेवा मायभूची,
ललनांची प्रेरणा तू, अस्मिता अनुपम राष्ट्राची।
रुख्माबाई राऊत यांचा १५३ वा वाढदिवस
(Rukhmabai Raut is best known for being one of the first practicing women doctors in colonial India as well as being involved in a landmark legal case involving her marriage as a child bride.)
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14 November, 2017

‘सूराख़-ए-सुकून’


यूँ तो बेचैन रहता हर शख़्स-ए-मुआशरा, ख़ौफ़-ए-सूराख़ से,
मगर जाविदाँ हुआ लफ़्ज़-ए-सफ़हा हर, तुमने नवाज़े सादा सूराख़ से,
कहीं मुसकान पढ़ पल-ए-माज़ी, कोई रोया दस्तावेज़-ए-वफ़ात से,
हर शोअबा-ए-ज़िंदगी आबाद, तुम्हारे हुनर-ए-‘सूराख़’ से.
■ 131st anniversary of the ‘Hole Puncher’
(Select lines from my Hindi-Urdu poetry book)
(सूराख़-ए-सुकून-defect of satisfaction, शख़्स-ए-मुआशरा-individual from society, जाविदाँ-immortal, लफ़्ज़-ए-सफ़हा-word from page, पल-ए-माज़ी-past, दस्तावेज़-ए-वफ़ात-documents of death, शोअबा-ए-ज़िंदगी-section of life, हुनर-ए-‘सूराख़’-art of creating defect)
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