29 September, 2019

• नवरात्रि

     भारत में नवरात्रि का त्योहार मनाने के तराइक़ मुख़्तलिफ़ हैं; लेकिन इसका नाक़ाबिल-ए-तक़्सीम हिस्सा होता है एक मुख़्तसर मगर अज़ीम दीया। नौ दिनों तक शब-ओ-रोज़ जलते दीये की सलीम लौ से फैलती रोशनी में फ़ज़ा आसूदा होती है। आरज़ू है, कि यह रोशनी हर शख़्स की ज़िंदगी अमन-ओ-सुकून से मुनव्वर करे।

हर लौ का पर्तोव बने, इस्तिलाह ग़ालिब हौसले की,
रोशन हों तारीक राहें, मन्फ़ी१० मिटे हर ज़िहन की,
फ़रोज़ाँ११ हो आलम इल्म१२ से, रहनुमाई में इल्मदाँ१३ की,
क़लम-ए-अदम-ए-तशद्दुद१४ लिखे, तहरीर मुस्तक़्बिल१५ की.

Navaraatri Greetings

(Navaraatri is an Indian festival)

(१-various, २-inseparable, ३-day & night, ४-calm, ५-contented, ६-illuminate, ७-gleam, ८-definition, ९-dark, १०-negativity, ११-illuminate, १२-knowledge, १३-scholar, १४-pen of non-violence, १५-future)
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28 September, 2019

• मनी जे वसले

हृदयी दडलेल्या भावना, कल्लोळ करती नयनी,
सहज लपविलेस देखील, प्रयत्ने लोचने मिटवुनी,
तळव्यांचा कंप तो अधीर, हृदयीचे गेला वदुनी,
उलगडले नयनांचे रहस्य, थरथरत्या पापण्यांनी।

(Select lines from my Marathi poetry book)
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27 September, 2019

• अश्क

बहना ही अकसर मुक़द्दर है, कभी सैलाब बन, कहीं आब-शार,
मक़्सूद है नम करना, आज लरज़ाँ लब, कल सुर्ख़ रुख़्सार,
कभी क़ैद-ए-मिश़गाँ में महफ़ूज़, कभी आज़ाद बहकर भी बेज़ार,
इक़बाल-ए-अश्क चाहे जो हो, निशाँ मगर छोड़ जाते हर बार.

(१-water spring, २-trembling, ३-captivity of eyelids, ४-fate of tears)
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26 September, 2019

• पर्दा

जज़्बात क़फ़स-ए-दिल में रखना आपका हक़ है, हुनर भी,
लरज़ाँ हथेली को कैसे छिपाओगे चिलमन में.

(१-cage of heart, २-trembling, ३-veil)
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25 September, 2019

• हक़ीक़त-ए-उल्फ़त

मुम्किन नहीं किसी का आना, दरमियान शमअ परवाने के,
निक़ाब भी शिकस्त खाती है हुनर-ए-परवाना से,
शमीम-ए-ज़ुल्फ़ छिपाना, बस का नहीं चिलमन के,
कहकशाँ तक नाकाम रोकने में, बाराँ-ए-जज़्बात आसमाँ से.

(१-defeat, २-fragrance of tresses, ३-galaxy, ४-shower of emotions)
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24 September, 2019

• बेमतलब

कभी बेमतलब की हुई हरकत ही बेबहामसर्रतदे जाती है,
कहीं क़ुबूल हुई दुआ के सुकून में भी पाइंदगी नहीं होती.

(-precious, -joy, -permanency)
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23 September, 2019

• ज़िक्र-ए-उल्फ़त


सर-ए-आम ज़िक्र से क्यों परहेज़, चर्चा वाबस्तगी का ही हुआ करता है,
दास्ताँ-ए-उल्फ़त तहरीर हो जाती है, कहने-कहने में ज़माने के.

(१-closeness, २-story of love, ३-script)
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22 September, 2019

• इख़्तिताम


परवाने जलते ही रहते हैं पैहम शमअ की आस में,
इंतिज़ार-ए-सहर में जलना मुक़द्दरहै शमा का,
अंजुमनखो जाती है बुझती शमअ के धुएँ में,
क्या ख़ाक ही इख़्तिताम है, महफ़िल के हर परवाने का.

(-consistently, -waiting for dawn, -fate, -assembly, -culmination)
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21 September, 2019

• अमन


सुनहरा हर दाना मिटाए, भूख तर्क साँसों की,
मीठी हो उनकी धड़कन, रूठी ज़बाँ हो जिनकी,
शुआअ-ए-इल्म से अब, रोशन हों राहें सब की,
काइनात को करती ग़ालिब, डोरियाँ इन्सानियत की.

International Day of Peace
(Select lines from my Hindi-Urdu poetry book)

(अमन-peace, तर्क-abandoned, शुआअ-ए-इल्म-ray of knowledge, काइनात-universe, ग़ालिब-powerful)
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