सुनहरा हर दाना मिटाए, भूख तर्क
साँसों की,
मीठी हो उनकी धड़कन, रूठी ज़बाँ
हो जिनकी,
शुआअ-ए-इल्म से अब, रोशन हों राहें
सब की,
काइनात को करती ग़ालिब, डोरियाँ
इन्सानियत की.
■ International Day of Peace
(Select
lines from my Hindi-Urdu poetry book)
(अमन-peace, तर्क-abandoned, शुआअ-ए-इल्म-ray of knowledge, काइनात-universe, ग़ालिब-powerful)
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