एक लंबे अरसे से
किसानों की आत्महत्याओं ने देश के समक्ष बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न निर्माण कर दिया
है। भ्रष्टाचार के अनेक पहलुओं में से ‘जागृति’ में तो केवल एक का वर्णन था।
किसानों की समस्या भी भ्रष्टाचार का ही एक अहम् पहलू है। सहस्रों करोड़ों की
योजनाओं के घोटाले से विपुल इस देश में, कुकर्मियों ने अन्न की उपज तक को नहीं
बख़्शा। विशेषज्ञों की राय में भविष्य का संघर्ष अन्न व जल के लिए ही होगा। हमारे
देश की कृषि और किसानों की दयनीय स्थिति देखकर तो यह राय सत्य प्रतीत होती है। जो
भी इस दुष्कृत्य में शामिल हैं वे शायद यह नहीं जानते, कि अन्न व जल के बिना न तो
सत्ता और न ही ऐश्वर्य का कोई अस्तित्व है।
हमारे देश की लगभग प्रत्येक समस्या की जड़
भ्रष्टाचार या हमारी संवेदनशून्य और बधिर प्रवृत्ति है। अत्यंत भीषण गरीबी में
जीवन व्यतीत करते किसानों को खिलखिलाते खलिहानों में मुसकाते देखने हेतु न जाने
और कितनी प्रतीक्षा करनी होगी।
कुछ तो हो तकनीक
सुदृढ़, उपज भूमि की बढ़ाए,
योजना कुछ हो सफल
अब, गंगा हर अब द्वार आए,
कुपित सृष्टि हो
तो कोई, मदद के कुछ कर बढ़ाए,
बलि की संतानें
ज़िंदा, रहें ऐसा प्रण बनाएँ।
■ Pola
(A bull-worshipping festival)
(Select
lines from my Hindi poetry book)
(Primarily a farmer’s festival of Maharashtra,
‘Pola’ is celebrated in some areas of Chattisgarh and Telagana too. Being the backbone of Indian farming since ages and even today, bulls are worshipped every
year on this auspicious new moon day of ‘Shraavan’ month of the Hindu calendar.)
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