14 February, 2023

• बेचारगी

मेरी बेचारगी के बिखरे हुए क़त्रों के जाम,
ज़िहन में उतार रहा है बेख़बर ज़माना,
कल जो निकलेंगे अरमान बज़्म के,
जाने क्या सूरत होगी उन अश्क-ओ-ग़म की.

(१-bit, २-mind, ३-assembly, ४-tears and grief)
*****