23 September, 2019

• ज़िक्र-ए-उल्फ़त


सर-ए-आम ज़िक्र से क्यों परहेज़, चर्चा वाबस्तगी का ही हुआ करता है,
दास्ताँ-ए-उल्फ़त तहरीर हो जाती है, कहने-कहने में ज़माने के.

(१-closeness, २-story of love, ३-script)
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