ग़ौर ही नहीं किया
मैंने, तुम्हारी जिद-ओ-जहद-ए-ज़िंदगी१ पर,
मेरी ख़ातिर मुसकान
की आड़ में, छिपाई हुई कशमकश२ पर,
अपने अरमान३
भुलाए तुमने, मेरी तमन्नाओं का बहाना बनाकर,
अहमियत दी मेरे
फ़ैसलों को, ख़ुद के मुअय्यन४ को मुल्तवी५ कर.
■ Mother’s Day
(Select
lines from my Hindi-Urdu poetry book)
(१-struggle
of life, २-struggle, ३-earnest hope, ४-planned, ५-adjourn)
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2 comments:
Touched
Well written
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