दस साल से भी अधिक काल की पढ़ाई, उसके पश्चात स्थैर्य पाने का कई सालों का संघर्ष, अपेक्षाओं का बोझ, और नैतिकता का पालन करने की पराकाष्ठा। इन सब अग्नि-परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के बाद यदि डॉक्टर कुछ सुकून के पल चाहें, तो मेरी दृष्टि से अनुचित नहीं। जवाहिरों की दुकान, मल्टीप्लेक्स, आलीशान मॉल, शानदार रेस्तराँ इत्यादि जगहों पर फ़िज़ूल व्यय करते वक़्त जिन्हें ज़रा भी आपत्ति नहीं होती, उन्हें जीव और अंग बचाने वाले डॉक्टरों को लेकर नकारात्मक भाषा का प्रयोग करने से पूर्व सोचना आवश्यक है। माना, कि कुछ डॉक्टर उनकी प्रतिभा सुनियोजित ढंग से अनुचित कामों में लगाते हैं। वे उस ख़राब आम की तरह होते हैं, जिनसे समूचा डॉक्टर वर्ग ही कलंकित होता है। बचे हुए आम तो मीठे ही होते हैं, किंतु दुर्भाग्यवश लोगों के स्नेह से वंचित रह जाते हैं।
स्मरण हमारा करते हैं
सब, होती जो पीड़ा तन-मन में,
■ Doctor’s Day (India)
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