21 October, 2019

• हाल-ए-दिल

चाक-ए-जिगर को पानी है, नजात सैलाब-ए-ख़यालात से,
ज़िहन मगर चाहता है, भीगना आब-शार-ए-तसव्वुर में,
आसमाँ तो ख़ुद बेक़ाबू है, इल्तिजा-ए-रहम कहें तो किससे,
शमीम ने बेनिक़ाब किए जज़्बात, जो लिपटे थे पुरानी चादर में.

(चाक-ए-जिगर-wounded heart, आब-शार-ए-तसव्वुर-shower of imagination, इल्तिजा-ए-रहम-plead mercy, शमीम-fragrant breeze)
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1 comment:

Anonymous said...

बहुत खूब