चाक-ए-जिगर१ को
पानी है, नजात सैलाब-ए-ख़यालात से,
ज़िहन मगर चाहता
है, भीगना आब-शार-ए-तसव्वुर२ में,
आसमाँ तो ख़ुद
बेक़ाबू है, इल्तिजा-ए-रहम३ कहें तो किससे,
शमीम४ ने
बेनिक़ाब किए जज़्बात, जो लिपटे थे पुरानी चादर में.
(१-wounded
heart, २-shower of imagination, ३-plead mercy, ४-fragrant breeze)
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