01 December, 2023

• बयाँ

यूँ चिलमन में न रखा करो मिज़ाज,
लाज़िम है कभी-कभार अलफ़ाज़ भी आज़माना,
कहीं ऐसा न हो, कि तुम्हारा तबस्सुम मसर्रत-ए-वस्ल कहे,
और ज़माना समझ ले हिज़्र का फ़साना.

(१-veil, २-necessary, ३-joy of union, ४-separation)
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