05 June, 2019

• पृथ्वी


सज्जनों कहीं ऐसा न हो, तुम्हारी जय-पराजय में,
मैं जीवन ही हार जाऊँ, तुम्हारी प्रतिष्ठा की लड़ाई में,
रक्त चाहे जिसका बहे, दूषित तो भूमि ही होगी अंत में,
कैसे श्वास ले सकोगे, कंकालों की भय-सभा में।

■ World Environment Day
(Select lines from my Hindi poetry book)
*****

No comments: