आपने आपके तलवों
का दर्द, महसूस न होने दिया मेरे बचपन को,
मेरे अजीब हठ पूरे
करने में, हथेली पर उठे तमाम फफोलों को,
मेरी ख़ातिर शदीद
राहों पर खाई, हिम्मत से सही हर ठोकर को,
हर बार कामयाब हुए
छिपाने में, पुरानी पापोश के घिसे तलवों को.
■ Father’s Day
(Select
lines from my Hindi-Urdu poetry book)
(शदीद-difficult,
पापोश-footwear)
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1 comment:
Very true 👍
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