भेद रंगों पंथों में न हो, सम्मान हो पावन कर्मों
का,
गाए गीत हर श्वास अब, शील, मैत्री, करुणा का,
मिटे बोध से तुम्हारे, तिमिर अज्ञानी
मन का,
पुनः स्मित करो बुद्ध, घोष हो शांति के पर्व
का।
■ बुद्ध पूर्णिमा
कामना है, कि द्वेष के मँडराते बादल शीघ्र हटें, और समस्त पृथ्वी सद्भावना की कौमुदी प्राशन कर तृप्त हो।
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# Buddha, War, Love, Peace
2 comments:
Nice one 👍
Very relevant in the current war ridden scenario
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