16 June, 2019

• अब्बा

आपने आपके तलवों का दर्द, महसूस न होने दिया मेरे बचपन को,
मेरे अजीब हठ पूरे करने में, हथेली पर उठे तमाम फफोलों को,
मेरी ख़ातिर शदीद राहों पर खाई, हिम्मत से सही हर ठोकर को,
हर बार कामयाब हुए छिपाने में, पुरानी पापोश के घिसे तलवों को.

Father’s Day
(Select lines from my Hindi-Urdu poetry book)

(शदीद-difficult, पापोश-footwear)
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05 June, 2019

• पृथ्वी


सज्जनों कहीं ऐसा न हो, तुम्हारी जय-पराजय में,
मैं जीवन ही हार जाऊँ, तुम्हारी प्रतिष्ठा की लड़ाई में,
रक्त चाहे जिसका बहे, दूषित तो भूमि ही होगी अंत में,
कैसे श्वास ले सकोगे, कंकालों की भय-सभा में।

■ World Environment Day
(Select lines from my Hindi poetry book)
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