14 June, 2020

• लहू

बारहा साबित किया है तुमने, तुम्हींसे वुजूद अंदाम के,

बहर हो दिल की धड़कनों की, तुमसे काफ़िये साँसों के,
तुमसे इस्तिलाह ज़िंदगी की, हर पल एहसासात ज़िंदा के,
रगों में रहो या बैग में महफ़ूज़, हवासिल हमेशा हो जीने के.

कभी तो तुम मज़्‌हबों में बटते, कभी खूँ होते हो रंजिश से,
मुहब्बत मुन्कसिम होती नफ़्रत से, इन्सानियत मज़्‌रूह रंज से,
तुम मगर दाइमन् फ़र्ज़शनास रहते, साँसों में इम्तियाज़ मुम्किन न तुमसे,
तारीख़ गवाह तुम्हारे करम की, हर मुल्क-ओ-मिल्लत सँभले तुम्हींसे.

उम्मीद, कि इन्सान नादाँ न बने, वाक़िफ़ हो तुम्हारी इमदाद१० से,
अब न भटके वह तारीकी में, रोशन हो रहगुज़र इल्म११ से,
तुम्हारी तवाज़ो१२ की हिकायत लिखे, भाईचारे के क़लम से,
तुम्हारे रंग सी मुन्फ़रिद१३ हो मुहब्बत, मुलव्वन१४ हो आलम अमन से.

(१-body, २-rhyme, ३-definition, ४-courage, ५-enmity, ६-split, ७-wounded, ८-discrimination, ९-territory and religion, १०-contribution, ११-knowledge, १२-esteem, १३-unique, १४-colourful)

■ World Blood Donor Day
(Select lines from my Hindi-Urdu poetry book)
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