तनहाई भी हुई बेनज़ीर१,
सदा-ए-मलिका-ए-ग़ज़ल से,
जहाँ-ए-मूसीक़ी है रोशन,
आफ़ताब-ए-दादरा२ से,
मुतमइन बज़्म-ए-मुम्ताज़३,
आब-शार-ए-ठुमरी से,
है गूँजता हिंदोस्ताँ
आज भी, तरन्नुम-ए-‘अख़्तरी’४ से.
■ यौम-ए-विलादत५
(ख़िराज-ए-तहसीन६)
(१-unique, २-sun of Dadra, ३-assembly of distinguished, ४-melody of Akhtari ‘maiden name of Begum Akhtar was Akhtaribai Faizabadi', ५-birthday, ६-tribute)
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