05 August, 2022

• दौर-ए-दहशत

मैंने ही तहरीर किया है तुम्हारा बदहाल मुक़द्दर,
मुझसे सवाल करने की जुर्रत हरगिज़ न करना.

मेरी अय्यार अदब से वाक़िफ़ न हो, इतने तो तुम ग़ाफ़िल नहीं,
फिर भी तुम उलझन में हो, यही एक कमाल है.

ग़ैरमुतवक़्क़िअ नहीं शदीद राहों पर अपनों का मुँह मोड़ना,
क़यामत में जो बेलौस साथ दे, ऐसी मिसाल नायाब है.

मेरा गाँव कल भी हिस्सो में ही फैला था, बँटे तो आज सब के दिल हैं,
बच्चे तक नहीं पूछते वजह-ए-नफ़रत, आज के दहशतज़दा१० दौर में.

(दौर-ए-दहशत-era of terror, १-bad state, २-fate, ३-dare, ४-cunning, ५-unaware, ६-unexpected, ७-difficult, ८-doom, ९-unselfish, १०-terrifying)
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