14 February, 2023

• बेचारगी

मेरी बेचारगी के बिखरे हुए क़त्रों के जाम,
ज़िहन में उतार रहा है बेख़बर ज़माना,
कल जो निकलेंगे अरमान बज़्म के,
जाने क्या सूरत होगी उन अश्क-ओ-ग़म की.

(क़त्रा-bit, ज़िहन-mind, बज़्म-assembly)
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