04 January, 2022

• वात्सल्य‘सिंधु’

त्यजित शैशव को सँवारता, 'सिंधु' सा तुम्हारा वात्सल्य,
तुम्हारे शौर्य से ही सँभला, अबोध अनिकेत वैकल्य,
तुम्हारे ढाई अक्षर प्रेम के, थे करुणासागरतुल्य,
निःस्वार्थ समर्पित श्वास कहते, जीवित क्षणों के कैवल्य।

■ Sindhutai Sapkal (14 Nov, 1948 - 04 Jan, 2022)
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1 comment:

Anonymous said...

Great words