करो तर्क मायूसी ज़िहन
की, रहो न अब तुम नातवाँ१,
महज़ उफ़क़२ न
हो मंज़िल, लाँघो हुदूद-ए-कहकशाँ३,
पाओ मराहिल४ यूँ
मुन्फ़रिद५, कि बने हर वतन रश्क-ए-जिनाँ६,
लिखे इस्तिलाह-ए-फ़राज़७ अब,
हर परवाज़-ए-निस्वाँ८.
■ International Women’s Day
(१-weak,
२-horizon, ३-bounds of galaxy, ४-goals, ५-unique, ६-envied even
by heaven, ७-definition of height, ८-flight of women)
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5 comments:
दिल जीत लिया जितू भाई
Very high level
Urdu poetry
शेर ओ शायरी
मिया भाई भी
Shaayad समझ पाये
Keep it up
Doctor
Thanks Parag
डॉक्टर साहब,आपने इस शायरी द्वारा नारी समाज को जो सम्मान दिया है,प्रेरणा दी है,वह काबिले तारीफ है।🙏🙏
🙏
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