08 March, 2020

• परवाज़-ए-निस्वाँ

करो तर्क मायूसी ज़िहन की, रहो न अब तुम नातवाँ,
महज़ उफ़क़ न हो मंज़िल, लाँघो हुदूद-ए-कहकशाँ,
पाओ मराहिल यूँ मुन्फ़रिद, कि बने हर वतन रश्क-ए-जिनाँ,
लिखे इस्तिलाह-ए-फ़राज़ अब, हर परवाज़-ए-निस्वाँ.

■ International Women’s Day

(१-weak, २-horizon, ३-bounds of galaxy, ४-goals, ५-unique, ६-envied even by heaven, ७-definition of height, ८-flight of women)
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1 comment:

Unknown said...

दिल जीत लिया जितू भाई