साँभा बोला सरदार
सरदार, कई टोलियाँ आ चुकी हैं बाज़ार में,
लूट का पुराना तरीक़ा नाकाम, कॉम्पटिशन के आज के दौर में,
गाँववाले अनाज
क्या देंगे ख़ाक, अकाल पड़ा है पूरे इलाक़े में,
गब्बर बोला फ़िक्र नहीं साँभा, बहुत जान बाक़ी
है बैंक घोटालों में।
कालिया बोला सरदार
सरदार, ताना न देना नमक के बारे में,
लंबे अरसे से खाया
ही नहीं, डर है लगता मिलावट के दौर में,
आपकी दी हुई बंदूक
नकली, जान जाते-जाते बची कल बैंक की लूट में,
गब्बर बोला डोंट वरी कालिया, बहुत जान बाक़ी
है बैंक घोटालों में।
गब्बर ने घोटाला
इतमीनान से किया, लिफ़्ट ली बसंती के ही ताँगे में,
खोज नहीं पाया
गब्बर को ठाकुर, ढूँढ़ते रहे गाँववाले पचास-पचास कोस में,
कच्ची दीवार तोड़
था भागा, साँभा-कालिया के साथ मस्त है परदेस में,
ट्वीट में उसने बस
इतनाही लिखा, कि बहुत जान बाक़ी है बैंक घोटालों में।
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