निशाँ-ए-हुस्न होते
आए हैं रुसवा३, दाइमन्४ ज़ालिम ज़माने से,
क़ुसूर आब-ए-इशरत५
का नहीं, उल्फ़त पशेमाँ६ मुद्दत से जिससे,
ख़ता ज़िहनियत का है,
जो मुसल्सल७ मुतअस़्स़िर८ कैफ़ से.
(१&५-liquor, २&७-repeatedly, ३-defame, ४-consistently, ६-ashamed, ८-driven)
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