हो पदच्युत कलंकित,
हटे मुखौटा छद्मी नेतृत्व का,
सिंहासनों के द्वंद्व
में किंतु, पतन न हो गरिमा का,
अब न हो दमन शोषण,
सत्य शांति क्षमा का,
बीते मधुर में खो,
विस्मरण न हो कटु वास्तव का।
व्यर्थ न हो बलिदान,
हो सम्मान हर समिधा का,
देश का हर श्वास हो
अब, उदाहरण निःस्वार्थ का,
भेद अब न हो धर्मों
में, होता पूजन कर्मों का,
स्वतंत्र, निडर, स्वच्छंद
हो अब, कण-कण गणतंत्र का।
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# Republic
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