14 May, 2020

• ग्रीष्म

शाखांवर पहुडली पीतसुमने, दडले हरित अंतरी,
कनक ल्याला बाहवा, ऐश्वर्य उधळितो अंबरी,
दरवळे उत्कट पुष्पगंध, जागवी प्रणय-लहरी,
नटून सुखवितो आसमंत, असे ग्रीष्म तीक्ष्ण जरी।

(Select lines from my Marathi poetry book)
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