19 December, 2021

• नाज़-ओ-अफ़सोस

हमने शिद्दत से तराशा ख़ुद के नज़रिये को,
कि अफ़सोस न जता सकें उन्हें खोने का,
इस क़द्र गुमराह किया टूटे हुए दिल को,
ज़िहन नाज़ करने लगा है, दर्द-ए-तनहाई का.

(शिद्दत-intensity, ज़िहन-mind, दर्द-ए-तनहाई-pain of loneliness)
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1 comment:

Mohan Raut👍🏽 said...

दिल छू लिया