21 December, 2021

• हुस्न-ए-सर्मा

    भारत की ज़ियादातर रियासतों का साल का लंबा दौर गर्मी में बीतता है, लिहाज़ा यहाँ सर्मा का इस्तिक़बाल गर्मजोशी से होता है। सब को आसूदा करने वाले इस मौसम के आते ही ठंडी हवाओं में नहाकर सुबह कोहरे में लिपट जाती है। ताज़ी सब्ज़ियों से मंडियाँ सँवर जाती हैं, और मुख़़्तलिफ़ फलों की ख़ुशबू से फ़ज़ा महक उठती है। लहलहाती फ़लाहतों में इज़्तिमाअ कर तरह-तरह के लज़ीज़ गिज़ाओं का लुत्फ़१० उठाने का भी रिवाज है।

    एक ओर सब को तर-ओ-ताज़ा करने वाला यह मौसम कई मग्रिबी-ओ-शुमाली११ मुल्कों में क़हर भी ढाता है। तूफ़ानी बर्फ़बारी और इंतिहाई१२ ठंड के नतीजतन् इन मुल्कों में लोग बेहद मुश्किल हालात से जूझते हैं। सर्मा हो या गर्मा१३, हर मौसम का एक पहलू लुभावना, तो दूसरा शदीद होता है।


ग़ुरूब१४ का पतझड़ रंगाता, ख़ज़ाँ१५ की सूखी चादर,
खिलखिलाता तलीक़१६ बचपन, अल्हड़ खेलती दूब पर,
ग़ालिब वल्वला१७ जवाँ का, नाज़नीं की शर्मीली नज़र,
फ़ज़ा आसूदा, बेहोश भी, हुस्न-ए-सर्मा१८ का असर.

■ Winter Solstice
(Select lines from my Hindi-Urdu poetry book)


(१-state, २-winter, ३-welcome, ४-contented, ५-various, ६-farms, ७-get-together, ८-delicious, ९-cuisine, १०-joy, ११-western and northern, १२-extreme, १३-summer, १४-sunset, १५-autumn, १६-free, १७-enthusiasm, १८-romance of winter)
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2 comments:

Raja_Doc said...

Bahot Khub Major Saab👌

Parag Ralegaonkar said...

Aadaab araz hai
Kya khoob farmaya aapne