03 December, 2019

• अंजाम

ख़ता हुआ है अरसे से, ख़ामोश रहकर ज़ुल्म सहते ही रहने का,
जुर्म भी हुआ, बेज़बाँ रहकर सितम के ख़िलाफ़ जंग न छेड़ने का,
आँखों पर बँधी पट्टी बेबस, यक़ीन न रहा एअतिदाल-ए-तराज़ू का,
मजबूर अवाम गवाह-ओ-शिकार मुद्दत से, क़हर-ओ-रवैया-ए-क़ातिल का.
(१-oppression, २-equilibrium of weighing scale, ३-cruelty & attitude of assassin)
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