हर ठुकराई हुई रूह
को, सँवारा पनाह-ओ-इल्म१ से,
बियाबाँ२
भी खिल उठा, ‘आनंदवन’ के गुलों से,
न ख़िताब-ओ-ताज३
का ग़ुरूर, न बहले आप शुहरत से,
क़ाइम४
है वुजूद-ए-इन्सानियत५, आप की सी इमदाद६ से.
आज़ादी-ए-वतन की
ख़ातिर चले, राह-ए-अदम-ए-तशद्दुद७ पर,
इम्तियाज़८
को दी शिकस्त, इन्सानियत को अपनाकर,
मुहब्बत और तवाज़ो९
कमाई, बेशुमार दौलत ठुकराकर,
निशाँ बनाए सरमद१०,
‘दाग़’-ए-नफ़्रत११ मिटाकर.
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Baba Amte’s birthday
(१-shelter and knowledge, २-jungle, ३-title & crown, ४-established, ५-existence of
humanity, ६-contribution, ७-path of non-violence, ८-discrimination,
९-respect, १०-immortal, ११-patch (of leprosy) of hatred)
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1 comment:
Very thoughtful one 👍
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