19 December, 2019

• बँटवारा

ख़फ़गी सरहदों से क्यों बेवजह, उनसे तो होती है महज़ नक़्शे में तरमीम,
ख़ता तल्ख़ ख़यालात का, मुतअस़्स़िर जिससे मुद्दत से मुहब्बत समीम,
लकीरों से बनाए निशाँ ज़मीं पर मगर, कैसे बाँटोगे आब-ओ-हवा की शमीम,
छेड़ी दिल-ओ-ज़िहन के बँटवारे ने, जाने कब तक चलेगी यह जंग-ए-तक़्सीम.

(१-displeasure, २-amendment, ३-bitter, ४-affected, ५-unadulterated, ६-fragrance, ७-battle of division)
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