22 December, 2019

• तश्वीश

एहसान तअस़्स़ुर-ए-तसव्वुर का, जिसने सँभाली तनहाई मुद्दत से,
हमनफ़स जो बना रहा दाइमन्, पल-ए-आग़ाज़-ए-फ़साना से,
तश्वीश, कि क्या हो अंजाम, जो मुजस्सम हो चंद लमहात गुज़रे से,
हौसला ग़ालिब न रहा माज़ी सा, कैसे पाएँगे नजात सैलाब से.

(-influence of imagination, -consistent, -apprehension, -actual, -strong)
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