A collection of promotional pages of my poetry books, poems, stories, articles and shayari
04 November, 2018
• From Darkness to Light
18 October, 2018
• Bless those souls, O Rama
(‘Vijaya-Dashmi’ is an Indian festival.)
05 September, 2018
• आप ही से
कई वर्ष बाद उसे बक्से से बाहर निकाला था। सावधानी व नज़ाकत से हर कोना, पट्टी, चाबी साफ़ कर, नमन कर उँगली रखी, तो निकले सुर से रोम-रोम पुलकित हो उठा। जैसी-जैसी उँगलियाँ घूमने लगीं, हार्मोनियम से सुर तो निकलने लगे; किंतु लय और धुन खो गई थीं। लगातार कोशिशों के बाद जब हार गया, तब अचानक कुछ याद आया; और सहज ही दाहिने हाथ के अँगूठे व तर्जनी से मैंने कान को चिकोटी काटी। “जब भी घमंड सिर पर सवार हो, तब स्वयं ही कान खींच लेना; अपने आप भूमि पर लौटोगे।” मेरे तबला गुरु की करारी सीख ने मुझे सँवार लिया।
दसवीं कक्षा तक तबला की तअलीम पाने के पश्चात पढ़ाई के बढ़ते बोझ से तअलीम व रियाज़ पहले कम, और बाद में बंद हो गए। ताल से रिश्ता तो था ही; लेकिन सुरों से नाता जोड़ने की तमन्ना शेष थी। सेना में कार्यरत होते ही एक हार्मोनियम ख़रीदी, और हर छुट्टी में गुरुजी से सुरों की भी तअलीम पाना आरंभ किया।
कान की चिकोटी का दर्द बरक़रार था। अगली छुट्टी मिलते ही गुरुजी से भेंट करने पहुँचा। गुरुजी के चरण स्पर्श किए। गुरुजी ने मेरे दोनो कंधे जकड़कर मुझे उठाते हुए पुरानी धारदार वाणी में कहा, “पूरी श्रद्धा से रियाज़ करो, गीत आप ही निकल आएँगे।” मैंने गर्दन हिलाकर आज्ञा स्वीकार की। धन्य वह गुरु, जो बिना कुछ सुने ही शिष्य को भाँपे। मैं भी ऐसा शिष्य बन धन्य हूँ, जो मीलों दूर गुरुजनों के स्मरण मात्र से नम्र होता है।
01 July, 2018
‘हॅलो डॉक्टर’
दस साल से भी अधिक काल की पढ़ाई, उसके पश्चात स्थैर्य पाने का कई सालों का संघर्ष, अपेक्षाओं का बोझ, और नैतिकता का पालन करने की पराकाष्ठा। इन सब अग्नि-परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के बाद यदि डॉक्टर कुछ सुकून के पल चाहें, तो मेरी दृष्टि से अनुचित नहीं। जवाहिरों की दुकान, मल्टीप्लेक्स, आलीशान मॉल, शानदार रेस्तराँ इत्यादि जगहों पर फ़िज़ूल व्यय करते वक़्त जिन्हें ज़रा भी आपत्ति नहीं होती, उन्हें जीव और अंग बचाने वाले डॉक्टरों को लेकर नकारात्मक भाषा का प्रयोग करने से पूर्व सोचना आवश्यक है। माना, कि कुछ डॉक्टर उनकी प्रतिभा सुनियोजित ढंग से अनुचित कामों में लगाते हैं। वे उस ख़राब आम की तरह होते हैं, जिनसे समूचा डॉक्टर वर्ग ही कलंकित होता है। बचे हुए आम तो मीठे ही होते हैं, किंतु दुर्भाग्यवश लोगों के स्नेह से वंचित रह जाते हैं।
स्मरण हमारा करते हैं
सब, होती जो पीड़ा तन-मन में,
■ Doctor’s Day (India)
13 May, 2018
‘अम्मी’
02 March, 2018
‘सदा-ए-फागुन’
17 February, 2018
• बहुत जान बाक़ी है बैंक घोटालों में
26 January, 2018
• हम बुलबुलें हैं इसकी
(Select lines from my Hindi-Urdu poetry book)
(१-tears of distinguished, २-imagination, ३-common citizen, ४-respect, ५-garden, ६-unfortunate, ७-desire of justice, ८-earnest hopes of citizens)