अब न हो अन्याय की जय, न्याय का ही छत्र हो,
लहू-पिपासु पापियों का, रात्रि हर अब काल हो,
रात अँधियारी वह जाकर, उषा-काल अब रम्य हो,
आशा की किरणें नहाए, सुनहरा आकाश हो।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
(Select lines from my Hindi poetry book)
*****
2 comments:
किरणों में नहाये की जगह किरणें नहायें यह नया है। वाह।!
👍 @ makarandji
Post a Comment