मैंने वजह से हुई मुलाक़ात और गुफ़्तगू का ख़ुलासा उस शख़्स से कहने के बावजूद वह पहले जितनाही बेबाक था। जब मैंने वजह के अंदाज़ पर ज़रा भी ऐतराज़ न जताने की वजह पूछी, तो उसने कहा-
यूँ उनकी बेरुख़ी पर क्यों इलज़ाम लगाएँ बेवजह,
ख़ता तो हमारे दिल का है, उसे ज़रा भी समझा न सके.
(ख़ता-fault, बेरुख़ी-neglect)
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