21 October, 2016

'ज़िंदा'


     अपने दिल को समझाने में नाकाम उस शख़्स से मैंने कहा, कि इतनी तक्लीफ़ सहने से तो बेहतर है, कि वह ख़ुद के दिल को ही समझा दे। उसने कहा-
न कहो उसे समझाने, दिल को बेचैन ही रहने दो,
सैलाब-ए-जज़्बात में रंगा दिल ही ज़िंदा लगता है.

(सैलाब-ए-जज़्बात-flood of emotions)
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