अपने दिल को समझाने में नाकाम उस शख़्स से मैंने कहा,
कि इतनी तक्लीफ़ सहने से तो बेहतर है, कि वह ख़ुद के दिल को ही समझा दे। उसने कहा-
न कहो उसे समझाने, दिल को बेचैन ही रहने दो,
सैलाब-ए-जज़्बात में रंगा दिल ही ज़िंदा लगता है.
(सैलाब-ए-जज़्बात-flood of emotions)
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