20 October, 2016

'उल्फ़त'

    बेदर्दी अपनी शिद्दत से उल्फ़त को नातवाँ तो कर देती है, मगर उल्फ़त बेदर्दी को झुकाने की क़ाबिल भी होती है। बेदर्दी नादान होती है, उल्फ़त को काग़ज़ात में खोजती है। इस सच से अनजान और बेख़बर, कि उल्फ़त इतनी बेबस नहीं होती, कि चीज़ों में क़ैद हो सके।
उल्फ़त ख़ामोश होती है, उसका कलाम नहीं बनता,
तिलिस्म-ए-रिश्ता बयाँ करता है, बेज़ुबान एहसासात की नज़्म.

(उल्फ़त-love, बेदर्दी-rudeness, शिद्दत-intensity, नातवाँ-weak, कलाम-note, तिलिस्म-ए-रिश्ता-magic of relation, नज़्म-poemबेज़ुबान-mute)
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