11 October, 2016

'विजयादशमी'


अब न क्षमा, न देंगे अवसर, भस्म करने हैं अधम,
करने हैं आतंकी कायरों के नापाक सिर क़लम,
आया है क्षण सीमोल्लंघन का, हर दिशा, हर क़दम,
लाँघ मर्यादा अब रेखा की, बनें वे वीर पुरुषोत्तम।

मातृभूमि शक्ति बन अब, हो भ्रष्टासुरमर्दिनी,
हो पांडव पंच-भूत सकल भद्र के, बरसें बन दामिनी,
कंपित गलित-गात्र हो शत्रु, दे स्वयम् को मुखाग्नि,
हर लाल कौत्स हो गाए, स्वर्णिम विजय-रागिनी।

विजयादशमी की हार्दिक बधाई।
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