जिससे उभरे उसी
मिट्टी में मिलना, मुक़द्दर१ होता है हर दिल का,
दिलदारी से जहाँ
को आसूदा२ करना ही, मक़्सद हो हर धड़कन का.
ज़बाँ न हो बेपर्वा,
अलफ़ाज़ से मज़्रूह३ न हो जिगर,
भीड़ में क़ाइम करें
तेरा तअर्रुफ़४, तेरे शाइस्ता अंदाज़-ओ-फ़न-ओ-हुनर.
आज का वल्वला५
रवाँ जवाँ, सहारा बने हर ग़ैरइख़्तियारी६ बुढ़ापे का,
शीरीं७
ज़िहनियत ही ज़रीआ हो, दिलों में बसी ख़फ़गी८ पर फ़तह पाने का.
(अख़लाक़-virtuous,
१-fate, २-contented, ३-wounded, ४-identity, ५-enthusiasm, ६-unavoidable, ७-sweet,
८-displeasure)
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