23 May, 2022

• रौशन

तुम्हारे पर्तोव से ही साक़िब था, हर तारीक गोशा-ए-ज़ीस्त,
तुम्हारी ख़ाक-ए-वजूद लाँघ ही पाए थे, मनचाही सुबह के मंज़र.

(पर्तोव-glow, साक़िब-illuminated, गोशा-ए-ज़ीस्त-corner of life, ख़ाक-ए-वजूद-ashes of existence)
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