16 May, 2022

• भँवर

जिस अज़ीज़ की ख़ातिर तय की, कद-ओ-काविश भरी पेचीदा रहगुज़र,
उसी क़रीब ने डाली बेड़ियाँ, जिससे शादाब था हर पल का पस-ए-मंज़र,
क़दमों में उलझे रिश्तों के भँवर, धुँधली कर गए दिल-ओ-ज़िहन की नज़र,
मुआफ़ी-ओ-शुक्रगुज़ारी से परहेज़, ज़ीस्त को कर गया बेक़रार-ओ-बेज़र.

(१-busy life, २-path, ३-colourful, ४-background, ५-heart and mind, ६-apology and gratitude, ७-life, ८-restless and poor)
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