20 October, 2016

'बेदर्द'

    दर्द और जुदाई को हँसते-हँसते सहने वाले उस शख़्स से जब भी मिलता, मैं मायूस हो जाता। मैंने कोशिश कर एक रोज़ उसके दर्द की वजह को ढूँढ़कर कहा, “बहुत दर्द है उसे।” वजह ने कहा-
हम तो ख़ुशी से वजह बन जाएँ किसी के काँटों की,
दर्द ख़ुशबू से ज़्यादा माहिर है किसीकी याद दिलाने में.
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1 comment:

Dr.Makarand V.Khubalkar said...

दर्द ज़्यादा माहिर है !वाह!